मृतक कथाएं
- डाॅ सुश्री शरद सिंह
घिसी हथेली की रेखाएं
जाने कहां-कहां ले जाएं।
घर के बाहर
सिर के ऊपर
सूरज बिना तपन
अंगुल-अंगुल
उभर गया अब
मन का सूनापन
अपनेपन का दाग़ दिखा कर
रिश्ते किरच हो जाएं।
कल की बातें
सपन दिखाते
जाने गईं किधर
पोर-पोर में
रचे-बसे हैं
सूखे फूल इतर
नेह डायरी के पृष्ठों पर
लिखी हुई हैं मृतक कथाएं।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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नेह डायरी के पृष्ठों पर
ReplyDeleteलिखी हुई हैं मृतक कथाएं।..मर्म स्पर्शी रचना..
बहुत शुक्रिया जिज्ञासा सिंह जी 🌹🙏🌹
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज सोमवार 01 फरवरी 2021 को साझा की गई है......... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबेहतरीन रचना आदरणीया
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