31 December, 2022

ग़ज़ल | वक़्त गया तो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी

वक़्त गया तो जाते-जाते, दिल पर छाला छोड़ गया।
ट्रक से टपके  तैल सरीखा,  धब्बा-काला छोड़ गया।

पगुराती गायों की गलियों से हो कर जो पल गुज़रा
अलसाए जीवन के  ऊपर, मकड़ी-जाला छोड़ गया।

गांव भागते शहर चुरा कर, चौर्यवृत्ति इस क़दर बढ़ी
अधुनातन होने का लालच, सद्गुण-माला छोड़ गया।

दो कानों  की  बात हमेशा, पड़ी मिली  चौराहे पर
जिसका भी दिल आया, उस पर, मिर्च-मसाला छोड़ गया।

प्लेटफाॅर्म के हरसिंगार ने, देखा है  उस इंजन को
बेफिक्री से बीड़ी पी जो, धुंआ - उछाला छोड़ गया।

घर से भागे असफल-प्रेमी, जैसा खोया-खोया मन
‘एक शहर की मौत’ ले गया, पर ‘मधुशाला’ छोड़ गया।

चांद रात को आया था जब, तारों की चुग़ली करने
कुर्सी के पुट्ठे पर अपना, फटा दुशाला छोड़ गया।

कलाकार निस्पृह होता है, यही सिद्ध काने, शायद
खजुराहो की रंगभूमि पर, एक शिवाला छोड़ गया।

दूर यात्रा पर जब निकला, सोच-विचारों का छौना
खोल गया  सारे दरवाज़े, चाबी-ताला  छोड़ गया।

बेहद  भूखा था  वह शायर, रोटी खाने  बैठा था
नई ग़ज़ल की आहट पा कर, हाथ निवाला छोड़ गया।

फिर लगता है, किसी अभागिन ने पीपल का वरण किया
सूरज अपने  पीछे-पीछे,  लाल उजाला छोड़ गया।

कच्ची स्लेटों पर अक्षर भी, कच्चे- कच्चे  उगते हैं
किन्तु मजूरी की ख़ातिर वह अपनी शाला छोड़ गया।

आंधी का इक तीखा झोंका, रिश्ते  में ढल कर आया
निष्ठुरता से दीप बुझा कर,  सूना आला छोड़ गया।

अहसासों का पंछी आ कर, जब-जब कांधे पर बैठा
आंखों में आंसू का बहता, इक परनाला छोड़ गया।

हम बस्ते में बंधे रह गए, ‘शरद’ फ़ाइलों के जैसे
हमको दस्तावेज़ बना कर, लिखने वाला छोड़ गया।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#अर्ज़है  #byebye2022 
#वक़्त #दिल #छाला  #ट्रक #तैल #धब्बा  #काला #बस्ते #बंधे  #फ़ाइलों #दस्तावेज़  #लिखनेवाला #छोड़गया 
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh
(उपरोक्त  ग़ज़ल मेरे ग़ज़ल संग्रह "पतझड़ में भीग रही लड़की" से)

30 December, 2022

ग़ज़ल | क्या कीजिए | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

ग़ज़ल
नफ़सियाती* दौर है, क्या कीजिए।
ज़िन्दगी बे-तौर**  है, क्या कीजिए।
दिख रहा जो, वो नहीं, हरगिज़ नहीं
मसअला कुछ और है, क्या कीजिए।
एक  दल उसको  सुकूं  देता   नहीं
वो  बदलता   ठौर  हैं, क्या कीजिए।
बदज़ुबानी का फ़कत मक़्सद नहीं
चाहता   वो  ग़ौर   है, क्या कीजिए।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

*नफ़सियाती= मानसिक, सायकोलॉजिकल
**बे-तौर = बेढब, अस्तव्यस्त

#नफ़सियात  #दौर  #क्याकीजिए 
#ज़िन्दगी #बेतौर   #हरगिज़ 
#मसअला   #दल  #सुकूं #बदलते #ठौर  #बदज़ुबानी   #फ़कत #मक़्सद #ग़ौर  #शायरी  #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

19 December, 2022

शायरी | दग़ा का दाग़ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मेरे लिबास पे तारे  थे  टांकने  जिसको
दग़ा का दाग़ वही शख़्स दे गया मुझको
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#लिबास #तारे  #टांकने #दाग़ #दग़ा  #शख़्स #मुझको #शायरी  #ग़ज़ल  #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

17 December, 2022

शायरी | फिर कहो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी | फिर कहो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

आइना देखो,  सम्हल लो,   फिर कहो 
ख़ुद से तो बाहर निकल लो, फिर कहो 
बेअसर   लगने    लगीं    बातें   तुम्हारी
झूठ का  लहज़ा  बदल लो, फिर कहो 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#आइना #ख़ुद #बेअसर #झूठ  #लहज़ा #शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

13 December, 2022

शायरी | मावठ की बारिश | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी
मावठ* की बारिश पड़ती है, 
हम ख़ुश होते हैं
उनकी सोचें जो फुटपाथों 
पर ही सोते हैं।
       - डॉ (सुश्री) शरद सिंह
(*मावठ - जाड़े की बारिश जो  फसल के लिए अच्छी मानी जाती है।)

#बारिश  #मावठ  #फुटपाथों  
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

12 December, 2022

शायरी | नहीं देखा किसी ने | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी
आस्तीनों में छिपे ख़ंजर 
नहीं देखा किसी ने
साथ देखा और समझा
आशना मेरा सभी ने
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#आस्तीनों  #ख़ंजर  #आशना  
#शायरी #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #shayariofdrmisssharadsingh 
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

07 December, 2022

शायरी | तौबा कर के | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी
उसका  कोई  कैसे   अब ऐतबार करे
तौबा  कर के   धोखा जो हर बार करे
दिल से बढ़ कर दुश्मन कोई और नहीं 
जीने दे,  और  जीना  भी  दुश्वार   करे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#ऐतबार #तौबा #धोखा #दिल #दुश्मन #जीना #दुश्वार #शायरी #ग़ज़ल  #डॉसुश्रीशरदसिंह 
#DrMissSharadSingh  #ShayariOfDrMissSharadSingh
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

02 December, 2022

शायरी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

हमारी  क़िताबों  के  ख़ामोश  पन्ने 
बहुत शोर करते हैं, गर कोई पढ़ ले 
इनमें  हक़ीक़त  की  ऐसी है  मिट्टी 
जो  इंसान  चाहे  नई  रूह  गढ़ ले 
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

#किताबों #किताबें #ख़ामोश #खामोश #पन्ने #शोर #मिट्टी #इंसान #हकीकत #रूह #शायरी_दिल_से #ग़ज़ल #डॉसुश्रीशरदसिंह
#DrMissSharadSingh #ShayariOfDrMissSharadSingh
#world_of_emotions_by_sharad_singh