Dr (Miss) Sharad Singh |
एक और नवगीत मेरे नवगीत संग्रह "आंसू बूंद चुए" से ...
बांझ नींदों में
- डाॅ सुश्री शरद सिंह
बांझ नींदों में
सपन होते नहीं।
बंद पिंजरों से
सुआ-मन
गौर से आकाश देखे
टिमटिमाते
छल-कपट के भाग-लेखे
दर्द के चेहरे
वृथा रोते नहीं।
रिक्त आंखों के
धुंधलके
रास्ते के पोर गिनते
कसमसाते
बचपने की याद बुनते
देह पानी में
मगर गोते नहीं।
जब उदासी ने
पिरोए
ज़िन्दगी के वर्ष-महिने
छटपटाते
टीस के एहसास पैने
बंजरों में वन
कभी बोते नहीं।
-----------
(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
#नवगीत #नवगीतसंग्रह #आंसू_बूंद_चुए
#हिन्दीसाहित्य #काव्य #Navgeet #NavgeetSangrah #Poetry #PoetryBook #AnsooBoondChuye
#HindiLiterature #Literature
No comments:
Post a Comment