12 April, 2025

शायरी | झूठ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

तुम्हारे झूठ को सच मान कर जीते रहे 
ज़हर कड़वा शहद में घोल कर पीते रहे
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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11 April, 2025

शायरी | जख़्म | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

न जाने दफ़्न हैं कितने ही जख़्म सीने में
लोग  समझे  हैं,  मज़ा आ रहा है जीने में
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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14 March, 2025

होली की शुभकामनाएं - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

होली की शुभकामनाएं
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

रंगों  की  कथा  कहती  होली  की रवानी है
देखो तो   हंसी   मौसम   पर छाई जवानी है
मिलते हैं सभी खिलकर फूलों की तरह देखो
उल्लास   भरी  चाहत  होती   ही  सुहानी है

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08 March, 2025

हम स्त्री हैं आख्यान हमीं, वेदों की ऋचाएं भी हम ही - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं🌹
Happy International Women's Day 🌹

आंगन की तुलसी हैं हम ही
दहकी  ज्वालाएं  भी हम ही 
हम  स्त्री   हैं  आख्यान हमीं 
वेदों की ऋचाएं  भी  हम ही
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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20 February, 2025

कविता | अबूझ | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

रात ज़रा ठंडी 
दिन गर्म 
कौन बूझ पाया 
प्रकृति का मर्म।
    - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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18 February, 2025

शायरी | सियासत | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अर्ज़ है -
सियासत, हुक़ूमत का क़िस्सा अजब है 
जो इसका हुआ वह किसी का न होगा।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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17 February, 2025

ग़ज़ल | तनहाई है - डॉ शरद सिंह

ग़ज़ल :  तनहाई है
          - डॉ शरद सिंह
चौतरफा   सन्नाटा है,    तनहाई है 
देखो, क़िस्मत कहां मुझे ले आई है 

दीवारों से बातें करना कठिन हुआ
मेरे  दुखड़े  से  छत  भी   घबराई है 

हरपल आंखों में आंसू भर आते हैं
बेबस दिल  की ये कैसी भरपाई है

झूठे हर्फ़ों  की  इतनी  भरमार हुई
स्याही भी काग़ज़ से अब शरमाई है

"शरद" हौसले की पतवारें साबुत हैं
कश्ती   भर   चट्टानों  से  टकराई है
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