17 September, 2023

शायरी | रामकहानी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

शायरी | रामकहानी | डॉ (सुश्री) शरद सिंह
कैसे लिख दें  रामकहानी, 
लिखने वाली बात नहीं।
नभ-गंगा  हैं  भीगी  आंखें, 
पानी भरी परात  नहीं। 
खण्ड काव्य न, महाकाव्य है 
और न कोई गीत-ग़ज़ल
चूड़ी  जैसी  पीर  हमारी,  
अंत नहीं, शुरुआत  नहीं।
        - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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16 September, 2023

कविता | अस्तित्वहीन | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

अस्तित्वहीन

 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मैं क्या हूं?
कुछ भी तो नहीं
शून्य से भी अधिक
अस्तित्वहीन

शून्य की आकृति
वज़न बढ़ाती जाती हैं
संख्याओं का
मैं नहीं

शून्य अनंत है
अथाह है
असीम है
मैं नहीं

शून्य बेहतर है
मुझसे
ज्ञान शून्यता
सर्वशक्तिमान है, पूजित है
मैं नहीं

मुझे क्षमा करना 
मेरी बौद्धिक शक्तियों !
तुमने तो चाहा 
किंतु मैं 
नहीं बन सकी बेहतर शून्य से ।
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05 September, 2023

शायरी | न ऐतबार रहा | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

किसी भी बात पे अब तो न ऐतबार रहा
उस एक शख़्स पे वादा, वफ़ा उधार रहा
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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24 August, 2023

प्लीज़ | कविता | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

असंख्य तारे हैं आसमान में
कैसे पहचानूं तुम्हें?
अब करने लगा है व्याकुल
धरती पर बेगानापन
एक संकेत दे दो
टिमटिमा दो
प्लीज़ ...😢
   - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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19 August, 2023

शायरी | नींद के गांव में | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

रतजगा  हो  गया  नींद के गांव में
याद अंगार बन कर  दहकती रही
नीम ख़ामोश गलियां रही देखतीं
एक परछाई  यूं  ही भटकती रही
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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17 August, 2023

शायरी | मोहब्बत में | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

मोहब्बत में शरारत का मज़ा कुछ और होता है।
कहा इक ने तो दूजे ने सुना कुछ और होता है।
यही तो लुत्फ़ है ख़ामोश रह  कर  देखने  में  सब,
कि,दुनिया और कुछ समझे, हुआ  कुछ  और  होता है।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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12 August, 2023

कविता | सहेली | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

सहेली
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
एक शाम
मेरे बाजू में
बैठी थी अभी
रात आते ही
चली गई
छोड़ कर
और उतर आई
खूंटी पर टंगी उदासी
सगी सहेली की तरह
साथ देती है
रोज ही।
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