Dr (Miss) Sharad Singh |
नवगीत
चौराहे का ज्योतिषी
- डाॅ सुश्री शरद सिंह
चौराहे का ज्योतिषी
बांचे सब का भाग।
जुड़ी अदालत,
सुखिया की
पेशी का है दिन
मुंशी अभी पुकारेगा
होंठों रुपया गिन
बंटवारे का आरसी
दिखलाता है दाग़।
बची सलामत
डिहरी में
रहा न कोई दम
पटवारी ले जाए तो
जूठी पातर रम
गलियारे का परबसी
खाए बासी-साग।
मूड़ उठाए
देख रहा
है मतलब का यार
धर दो चुनरी हाथ पर
यही ककहरा सार
अंधियारे का मावसी
उजियारे का काग।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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यथार्थपूर्ण रचना..
ReplyDeleteदिली शुक्रिया जिज्ञासा सिंह जी 🌹🙏🌹
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ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 13 जनवरी 2021 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
पम्मी सिंह 'तृप्ति' जी,
ReplyDeleteयह मेरे लिए हर्ष का विषय है कि आपने मेरे नवगीत को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल किया है। विद्वत ब्लॉगर्स तक मेरे नवगीत का पहुंचना मेरे लिए प्रसन्नतादायक है।
हार्दिक आभार एवं धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
वाह बढ़िया लिखा आपने।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद श्वेता सिन्हा जी 🌹🙏🌹
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अनुराधा चौहान जी 🌹🙏🌹
Deleteबहुत खूब...शरद जी
ReplyDeleteमूड़ उठाए
देख रहा
है मतलब का यार
धर दो चुनरी हाथ पर
यही ककहरा सार
आंसू बूंद चुए 31 नवगीतों संकलन ...वाह
हार्दिक धन्यवाद अलकनंदा सिंह जी 🌹🙏🌹
ReplyDeleteलाजवाब प्रस्तुति आदरणीया । बहुत खूब ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
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