Dr (Miss) Sharad Singh |
नवगीत
वर्जनाएं धूप की
- डाॅ सुश्री शरद सिंह
वर्जनाएं
धूप की
उंगली उठाए दिन
तुम्हारे बिन।
रेत पर
छूटे हुए पद-चिन्ह
लहरों से परे
डोंगियां भी
मौन
होंठों पर धरे
हाशियों में
नाम लिख
सुधियां जगाए दिन
तुम्हारे बिन।
नेह के
चटके हुए संबंध
टूटा सिलसिला
झील का ये
दर्द
पर्वत से मिला
खाइयों में
अब यही
दुख गुनगुनाए दिन
तुम्हारे बिन।
-----------
(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
#नवगीत #नवगीतसंग्रह #आंसू_बूंद_चुए #हिन्दीसाहित्य #काव्य #Navgeet #NavgeetSangrah #Poetry #PoetryBook #AnsooBoondChuye #HindiLiterature #Literature
बहुत सुन्दर शरद जी । इतने कम अल्फ़ाज़ में इतने गहरे जज़्बात ! क्या कहने !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🌹🙏🌹
Deleteमनोभावों की सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद कविता रावत जी 🌹🙏🌹
Deleteसुंदर प्रस्तुति ।
ReplyDeleteसादर।
हार्दिक धन्यवाद सधु चन्द्र जी 🌹🙏🌹
Delete