28 September, 2019

वरना वो भी सुधर गया होता ( ग़ज़ल )... डॉ शरद सिंह

 
Varna Vo Bhi Sudhar Gaya Hota ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh
  
ग़ज़ल
 
 - डॉ शरद सिंह
 
अश्क़ आंखों से  बह गया होता
दिल का दरिया उतर गया होता

ग़म को  रक्खा है  बंद  मुट्ठी में
वरना सब पे  बिखर गया होता

गर   कोई  इंतज़ार  करता तो
शाम  होते  ही  घर  गया होता

उसकी मां ने  उसे नहीं डांटा
वरना वो भी  सुधर गया होता

वो 'शरद' को अगर समझ लेता
दुश्मनी को बिसर गया होता
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हलफ़ उसने उठा रक्खा ( ग़ज़ल )... डॉ शरद सिंह

Halaf Usane Utha Rakha ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh

 ग़ज़ल 

 - डॉ शरद सिंह

जला भी दो बही-खाता, भलाई का,  बुराई का
हलफ़ उसने उठा रक्खा है हमसे बेवफ़ाई का
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18 September, 2019

My Life - Dr (Miss) Sharad Singh ... My Poetica - 8

My Life - Dr (Miss) Sharad Singh ... My Poetica 
My Poetica - 8
My Life
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One drop tear
One drop dew
Few drop memories 
Equal to -
My life so far ...
- Dr Sharad Singh