23 April, 2019

क़िताबों की दुनिया - डॉ शरद सिंह ( विश्व पुस्तक दिवस पर ग़ज़ल )

Kitabon Ki Duniya ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh on World Book Day
  
विश्व पुस्तक दिवस पर ग़ज़ल

बहुत  खूबसूरत  क़िताबों  की दुनिया
सवालों  में  जैसे   जवाबों  की दुनिया
है  सच्चाई  इसमें  जो  सारे  जहां की
इनमें ही शामिल है ख़्वाबों की दुनिया
- डॉ शरद सिंह

20 April, 2019

मृत्यु (कविता) - डॉ शरद सिंह

Mrityu  (Kavita) ... Poetry on Death by  Dr (Miss) Sharad Singh

मृत्यु
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अग्नि में जला दिया जाना
या सुला दिया जाना दो गज ज़मीन के नीचे
अनुष्ठान है देह की मृत्यु का
वहीं, बच रहना विचारों का
होना प्रवाहित
पीढ़ी-दर-पीढ़ी
प्रतीक है अमरता का
वाचिक हो या मसि-कागद जीवी
रहता है जीवित विचारों में ढल कर
अंत और अनंत से परे
उस अथाह की तरह
जिस पर अवस्थित है यह पूरा ब्रह्माण्ड।
 - डॉ शरद सिंह

18 April, 2019

एक आवाज़ मेरे कानों से ... (नज़्म) - डॉ शरद सिंह

Ek Aawaz ... Nazm of Dr (Miss) Sharad Singh

नज़्म
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एक आवाज़ मेरे कानों से
आ के बेसाख़्ता लिपटती है
कोई आता हुआ सा लगता है
एक अंगार खुद सुलगता है
फिर उदासी की बर्फ़ गलती है
और धड़कन भी फिर फिसलती है ....
- डॉ शरद सिंह

08 April, 2019

कौन जाएगा भला ( ग़ज़ल ) ... - डॉ शरद सिंह

Kaun Jayega Bhala... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh


ग़ज़ल

कौन जाएगा  भला   उसको  मनाने को
दिल नहीं करता हमारा सिर झुकाने को

इस क़दर जलने लगे हैं ख़्वाब आंखों में
अश्क़ की लहरें उठीं  उनको बुझाने को

जो गिरा है मुफ़लिसी की ठोकरें खाकर
कौन झुकता है भला, उसको उठाने को

दर्द का इक कारवां, है यहां ठहरा हुआ
हो न हो, वो ही गया उसको बुलाने को

वक़्त ने देखा नहीं हमको कभी मुड़कर
याद क्यूं करना भला, गुज़रे जमाने को


- डॉ ( सुश्री ) शरद सिंह

04 April, 2019

मेरे ख़्वाबों के शहर का (ग़ज़ल) ... - डॉ शरद सिंह

Mere Khwabon Ke Shahar Ka ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल


मेरे ख़्वाबों के शहर का जो है पता तुझको
ज़रा बता भी दे अब उसका रास्ता मुझको

तू भी मिल-मिल के जमाने से आजमाता है
चाहता है जो सताना, तो फिर सता मुझको

तू  नज़ूमी  की  तरह  बांचता  रहता है मुझे
मेरी तक़दीर में लिक्खा है क्या, बता मुझको


क्यूं लरज़ता है, झिझकता है, सहमता है भला
इश्क़ तुझको जो है मुझसे, तो ये जता मुझको 


बंद  बक्से  में   रखे   ख़त  की  तरह  क्या जीना
कर दे इक बार तो खुल के भी कुछ अता मुझको


- डॉ ( सुश्री ) शरद सिंह

नींद भी आती नहीं है (ग़ज़ल) ... - डॉ शरद सिंह

Neend Bhi Aati Nahin ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल

कह दिया हमने हमारा दिल कभी दुखता नहीं है
मुस्कुराने  से   दिलों  का   टूटना   छुपता नहीं है


नींद के खाते में  चढ़ते  जा  रहे हैं  ख़्वाब मेरे,
नींद भी  आती  नहीं है,  कर्ज़ भी चुकता नहीं।




इस कदर बढ़ने लगा है दर्द अब तो ज़िन्दगी में
लाख थामों नब्ज़ लेकिन  दर्द  ये  रुकता नहीं है

इस जमाने के चलन के  साथ  न 
चल  पाए हम
कोशिशें तो की मगर ये सिर कहीं झुकता नहीं है


- डॉ ( सुश्री ) शरद सिंह


02 April, 2019

अलविदा गूगल प्लस .... Good bye Google Plus ... - Dr Sharad Singh

Good bye Google Plus ...
I will Miss You So Much 😢
Google Plus going today to ShutDown...
A friend going to far far away for ever 😢
These were my Google Plus pages ...