Dr (Miss) Sharad Singh |
आंख भर आई
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
किसी की याद आई
आंख भर आई।
सुलगती रात
बुझते दिन
छुपा बैठा हुआ बगुला
पांखों से गिने पलछिन
घनी झरबेरियों-सी
राह दुखदाई।
उमगती चाह
सूना दिल
किसी का नाम पोखर में
लहरियों-सा करे झिलमिल
शिराओं में उतरती
शाम अकुलाई।
सरकती धूप
कतराए
अकेले-से खड़े घर में
कभी भी नींद न आए
अंधेरों में सिमटती
नींम अंगनाई।
--------
(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
मीना भारद्वाज जी,
ReplyDeleteआभारी हूं कि आपने मेरे नवगीत को चर्चा मंच में शामिल किया है।
सुखद अनुभूति 🌷
हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
बेहतरीन गीत।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद यशवन्त माथुर जी 🌹🙏🌹
Deleteअति सुन्दर । शुभकामनाएँ ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अमृता जी !!!
Delete