Dr (Miss) Sharad Singh |
पत्र गैरों के
- डाॅ सुश्री शरद सिंह
धूल पर
टिकते नहीं हैं
चिन्ह पैरों के।
उंगलियों के बीच
सूरज को दबाए
रोशनी से
कसमसाती नींद
सिलवट छोड़ जाए
रास्तें
बुनते रहे
संदर्भ सैरों के।
मौसमी मुस्कान
होंठों पर सहेजे
आंसुओं से
तरबतर रुमाल
किसके पास भेजे
डाकिया
लाया हमेशा
पत्र गैरों के।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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