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Dr (Miss) Sharad Singh |
नवगीत
चौराहे का ज्योतिषी
- डाॅ सुश्री शरद सिंह
चौराहे का ज्योतिषी
बांचे सब का भाग।
जुड़ी अदालत,
सुखिया की
पेशी का है दिन
मुंशी अभी पुकारेगा
होंठों रुपया गिन
बंटवारे का आरसी
दिखलाता है दाग़।
बची सलामत
डिहरी में
रहा न कोई दम
पटवारी ले जाए तो
जूठी पातर रम
गलियारे का परबसी
खाए बासी-साग।
मूड़ उठाए
देख रहा
है मतलब का यार
धर दो चुनरी हाथ पर
यही ककहरा सार
अंधियारे का मावसी
उजियारे का काग।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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