Showing posts with label My Poetry. Show all posts
Showing posts with label My Poetry. Show all posts

26 March, 2019

ग़ैरइरादतन - डॉ शरद सिंह ... कविता

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ैरइरादतन
-------------
घर लौटते ही
छूट जाती है कुछ बातें
चौखट के बाहर
कुछ जरूरी
कुछ अधूरी
और कुछ बस यूं ही
जिन्हें छूटना नहीं चाहिए था
फिर भी पता नहीं क्यों
छूट जाती हैं अनजाने ही...
जैसे किसी को कॉलबैक करना
या सूचना देना
अपने घर पहुंचने की
छूट जाती है बहुत सारी बातें
बस यूं ही,
ग़ैरइरादतन।
- डॉ शरद सिंह


23 October, 2018

मेरे चालीस दोहे - डॉ शरद सिंह

 
Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

मेरे चालीस दोहे - डॉ. शरद सिंह

रखा हुआ है मेज पर,  अब तक वह रूमाल।
जिसे छोड़ कर कह गए, अपने मन का हाल।। 1।।

खिड़की पूछे- ‘क्या हुआ?’, दीवारें चुपचाप।
पोर-पोर तक जा चढ़ा, प्रेम ज्वार का ताप।। 2।।

मन तो चाहे लांघना, हर चौखट, हर द्वार ।
सकुचाया मन दो क़दम, उठ कर जाए हार।। 3।।

देह कमलिनी-सी हुई, अधर हुए जासौन।
हृदय करे कलरव मगर मुख ने साधा मौन।। 4।।

मोरपंखियां  चाहतें,  छीने दिल  का  चैन।
सपनों में  तो  रोज़ ही,  मिले नैन से नैन ।। 5।।

अस्त-व्यस्त है ज़िन्दगी, नहीं सूझता काम।
धरे हाथ पर हाथ अब, बीते सुबहो-शाम।। 6।।

सूरज झांके भोर से,  चढ़ कर रोशनदान।
भाव-भंगिमा बांचता, देखे  दे कर  ध्यान।। 7।।

गोपन रखना है कठिन, परिवर्तित यह चाल।
बिन बोले ही व्यक्त है, दिल का पूरा हाल।। 8।।

वीतराग को त्याग कर, जीवन हुआ सप्रीत।
कहां जाऊं अब छोड़ कर, तेरे दर को मीत।। 9।।

नदी थिरती घाट पर, थिरके जल की धार।
प्रेम-नाव पर बैठ का, आ पहुंचो इस पार।। 10।।

करो दस्तखत द्वार पर, हल्दी से दो छाप।
शेष रसम हो जाएगी, पल में अपने-आप।। 11।।

काग़ज़, कलम, दवात का आज नहीं कुछ काम।
संकेतों  में  व्यक्त है,  मन  की  चाह तमाम।। 12।।

मैं जो मुक्त उड़ान हूं, तुम विस्तृत आकाश।
तुम पर आ कर ख़त्म है, मेरी सकल तलाश।। 13।।

थिगड़े  वाली  चूनरी, ओढ़े  बैठी  हीर।
फटे दुशाले में बंधी,  रांझे की तक़दीर।। 14।।

मिला मेघ था यक्ष को, दूत बनाने हेतु।
इस युग में पाना कठिन, सम्वादों का सेतु।। 15।।

तेरे-मेरे बीच की  दूरी,  सौ-सौ  मील।
फिर भी किरणें हैं यहां, जले वहां कंदील।। 16 ।।

बिना मिलाए मिल गई, दो हाथों की रेख।
तेरा-मेरा  साथ है,  जीवन भर का लेख।। 17।।

छंद सुवासित हो गए और रसीले गीत।
इसी तरह मधुमय रहे, तेरी-मेरी  प्रीत।। 18।।

दरपन ले कर हाथ में, देखी है छवि रोज।
फिर भी लगता है यही, आज हुई है खोज।। 19।।

मेरी  अांखों  से  बही,  भीगे  तेरे   गाल।
अश्रु-धार करने लगी, ऐसे विकट कमाल।। 20।।

तुम सागर-तट पर रहो, या बैठो मरु-धार।
नहीं घटेगा देखना,   मन से मन का प्यार।। 21।।

मानव नश्वर हो भले, किन्तु  अनश्वर आग।
देह मिटे,  मिटती रहे,  रहे  प्रेम औ राग।। 22।।


गुरु के  आगे   लघु रहे,  दोहे की  ये रीत।
वैसे ही  सामर्थ्य  संग, बसे  हृदय में प्रीत।। 23।।

‘शरद’ ज़िन्दगी मांगती, बस इतना अधिकार।
जब तक ये सांसे चलें, मिले सदा ही प्यार।। 24।।

दीप्त हुई है चांदनी, खिला चमेली फूल।
झरबेरी  रेशम हुई,  मखमल हुआ बबूल।। 25।।

रची हथेली पर हिना, माहुर  दहके  पैर।
अब तो हो जाए सगा, कल तक था जो गैर।। 26।।

संबंधों की भीत पर,  एक  सातिया और।
बहकी-बहकी भावना, पा  जाएगी  ठौर।। 27।।

सात जनम यायावरी, बनी  रही  जो चाह।
तेरे कांधे सिर टिका, मानो  मिली  पनाह।। 28।।

सच कहना! क्या थी नहीं, प्रणयबद्ध ये चाल।
जानबूझ  कर  छोड़ना, अपना  प्रिय  रूमाल।। 29।।

‘रवि वर्मा’ के चित्र-सी, खिचीं हुई है  रेख।
मौसम जिसको देख कर, लिखे प्रेम के लेख।। 30।।

‘शरद’ पलाशी चाहतें,  फूले-फलें जरूर।
उनमें दूरी न रहे,  जो अब तक थे दूर ।। 31।।

दो नयनों का लेख है, कर लो खुद अनुवाद।
बोल उठी जब देह-लिपि, करना क्या सम्वाद।। 32।।

सुबह पूर्व में लालिमा, ज्यों सेंदुर का रूप।
शगुन लिखे फिर द्वार पर नई-नवेली धूप।। 33।।

अमराई की बौर से,  हुआ  सुवासित  नेह।
खिली पंखुरी की तरह, समिटी थी जो देह।। 34।।

रखता है मन रोज ही, कच्चा आंगन लीप।
तुम भी रख जाओ तनिक अपनेपन का दीप।। 35।।

कोयल बोले तो लगे, कूक रही इक नाम।
मेरा प्रियतम है वही, द्वापर  वाला  श्याम।। 36।।

मन के  हारे  हार है,  मन के  जीते जीत।
करो  मंत्र स्वीकार यह,  मुस्कायेगी  प्रीत।। 37।। 

‘शरद’ ज़िन्दगी के लिए,  इतना  है पर्याप्त।
इस दुनिया में हर तरफ, रहे प्रेम ही व्याप्त।। 38।।

सभी रहें सुख से यहां, सब में हो अनुराग।
कलुष नहीं डाले कभी, मन-चादर पे दाग।। 39।।

‘शरद’ आपसी प्रेम की कथा न होवे शेष।
रत्ती भर छूटे नहीं,  इस  धरती पर द्वेष।। 40।।
     -----------------



10 October, 2018

तुम्हारी याद - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

तुम्हारी याद
-------
कल मुझे रास्ते में
रखा मिला सूरज
उठा लिया मैंने भी उसे
यूं ही
अनायास
जैसे तुम्हारी याद
उठा लेती हूंं मैं
अपनी पलकों में
एक गर्म, उबलती बूंद की तरह।
- डॉ शरद सिंह


#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh


09 October, 2018

ओ मेरे हर्क्युलिस ! - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr Sharad Singh
ओ मेरे हर्क्युलिस !
-------------------
तुम हो सकते हो
हर्क्युलिस से भी
अधिक ताक़तवर
उठा सकते हो सूरज
अपनी भुजाओं में
पर, क्या चल सकते हो मेरे साथ
एक कस्बे के
भरे चौराहे में
मेरा माथा चूम कर
मेरी कलाई थाम कर ...
- डॉ शरद सिंह


#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

खो गया है वो - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr Sharad Singh
खो गया है वो
-----------------
धूप का फूल
आज पाया जो
शाम आई लो,
खो गया है वो
दिल ने झेला था
दर्द को बेशक़
आज अश्क़ों में
ढल के आया तो ...
- डॉ शरद सिंह


#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

ठहरो न ! - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr Sharad Singh

ठहरो न !
-----------
सूरज
रोज आते हो सुबह
चले जाते हो

शाम को
ये मेरा
घर है
दफ़्तर नहीं
किसी रोज़ ठहरो न
बातें करेंगे
हम रात भर...
- डॉ शरद सिंह

#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

कुछ यादें - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr Sharad Singh
कुछ यादें
-----------
आज धूप ने
झांक कर
खिड़की से
पूछा
मेरा हाल
और
कुछ यादें
फुदक कर आ गईं
सीखचों के भीतर
जिनमें
तुम थे भी,
नहीं भी...
- डॉ शरद सिंह

#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

10 July, 2018

रातों की नब्ज़ पर - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

 रातों की नब्ज़ पर
--------------------
रातों की नब्ज़ पर
ख़्वाबों की उंगलियां
कुछ दुखतीं
कुछ रिसतीं
कुछ हंसत़ी-मुस्कातीं

यादों की करवटें....
- डॉ शरद सिंह


#शरदसिंह #मेरीकविता #SharadSingh #Poetry #MyPoetry #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh #यादों_की_करवटें #नब्ज़
#ख़्वाबों_की_उंगलियां

12 June, 2018

Life ... Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh


Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
ज़िन्दगी
---------
ज़िन्दगी है एक तुड़े-मुड़े कागज़ की तरह
किन्तु उसे
न तो फेंका जा सकता है
न तो सीधा किया जा सकता है
सिर्फ़़ देखी जा सकती हैं
परस्पर काटती लकीरें
बहुत
बहुत
बहुत सी लकीरें विचारों की तरह
विचार प्यार, जीवन और पाने के अधिकार के।
- डॉ शरद सिंह

Life
------
Life is like crumpled paper
But …
Nobody can throw it
Nobody can plain it
Only see the across lines
More...
More...
More lines of thoughts
Thoughts of Love, Life and Lien ...
- Dr Sharad Singh


#SharadSingh #Poetry #MyPoetry #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh
#मेरीकविताए_शरदसिंह

06 April, 2018

तेरा का पहाड़ा ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
 तेरा का पहाड़ा
---------------
बड़ा कठिन रहा है
मेरे लिए
तेरा (तेरह) का पहाड़ा
तेरा दूने होते ही
दोनों अंकों के चेहरे
हो जाते हैं परस्पर विपरीत
जैसे असहनीय हो
एक-दूसरे को देखना
तेरा तिया होते ही
बनना पड़ता है पिछल्लगू
एक को दूसरे का
बस,
आता है एक पल
सम्मुखता का
तेरा पंचे पैंसठ में
मगर फिर वही विलगाव
सचमुच बड़ा कठिन है
मेरे लिए
पढ़ना और याद रखना
तेरा का पहाड़ा।

04 April, 2018

गर्मियों की छुट्टियां ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
गर्मियों की छुट्टियां
-------------------
दोपहर
तपती, झुलसती
डोलती है
गर्म सांसें छोड़ती
कुछ बोलती है
खोलती है याद की
गठरी पुरानी
है बंधा जिसमें
विहंसता बालपन
बंद कमरों में
था गुज़रता ग्रीष्म-दिन
और कटता था जो
उपन्यासों के संग
वह युवापन।

अब न वैसी छुट्टियां
न ही वैसी फ़ुरसतें
है अगर कुछ तो -
तपती गर्मियां हैं
याद की गठरी उठाए पीठ पर!
- डॉ शरद सिंह

21 March, 2018

विश्व कविता दिवस 2018 पर मेरी कविता - डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh on The World Poetry Day 2018
कविता ही तो ....
------------------
वह जो शब्दों को
ओढ़ती है, बिछाती है
सांसे बन जाती है
हृदय को धड़काती है
भावनाओं को रसों का
ककहरा पढ़ाती है
और फिर बिना कहे -
सब कुछ कह जाती है !
वो कविता ही तो है
जो जीवन में
सरसता लाती है
अभिव्यक्ति को
मधुर बनाती है !!!
- डॉ शरद सिंह
#विश्व_कविता_दिवस #शरदसिंह #मेरीकविता #WorldPoetryDay #SharadSingh #Poetry #MyPoetry #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

20 March, 2018

विश्व गौरैया दिवस पर मेरी यह कविता ... डॉ. शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh on World Sparrow Day
नन्हीं गौरैया ने...
----------------
पंखों को तौला है
खुद से ही बोला है
नन्हीं गौरैया ने-
घर के दरवाज़े,
खिड़की में जाली है
कहने भर को हैं अब
पंछी घरेलू पर
ख़ालिस बदहाली है
बाहर मोबाईल के
भरमाते टॉवर हैं
बिजली के तारों में
लावे-सा पॉवर है
भरुंगी उड़ान मगर
आंगन में बनी रहूंगी
मैं तो भईया,
डटी हुई हूं अब तक
देख मैं मुनईया !
    - डॉ. शरद सिंह


#विश्व_गौरैया_दिवस #WorldSparrowDay #SharadSingh #Poetry #MyPoetry #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

17 March, 2018

मुझे नहीं .. डॉ शरद सिंह



Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
मुझे नहीं
---------
रात अपनी मरमरी आवाज़ में
कुछ कहती है
एक नाम लेती रहती है
नाम?
श्श..श्श..श्श...

रात को छूट है
मुझे नहीं
नाम तुम्हारा लेने की...
- डॉ शरद सिंह

17 February, 2018

रात एक प्रतीक्षा ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
रात एक प्रतीक्षा
----------------
किसी सूने स्टेशन के
प्लेटफार्म में बैठे हुए
प्रतीक्षा करना
विलम्ब से चल रही ट्रेन का
या फिर जाड़े की लम्बी रात में
स्वेटर के फंदों-सा
यादों को बुनना
और दे लेना खुद को तसल्ली
कि रात एक प्रतीक्षा ही तो है
नींद से जागने वाली सुबह की
और ट्रेन लेट ही सही, पर आएगी ही!
रूठना भूल कर लौटे हुए प्रिय की तरह ...

- डॉ शरद सिंह

15 February, 2018

उसकी यादों के मकां में ... डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh
उसकी  यादों के  मकां में  है   बसेरा अब तो
कुछ तो ऐसा हो कि हो जाए वो मेरा अब तो
- डॉ शरद सिंह


30 January, 2018

कठिन लगता है ... डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh

किसी को छोड़ कर आना
किसी से भी न जुड़ पाना
कठिन लगता है अकसर
इस तरह का दौर सह पाना
- डॉ शरद सिंह


25 January, 2018

वज़ह बताना मुश्क़िल है ...... डॉ शरद सिंह

Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh
चार क़िताबें पढ़ कर दुनिया को पढ़ पाना मुश्क़िल है।
हर अनजाने को आगे बढ़, गले लगाना मुश्क़िल है।
सबको रुतबे से मतलब है, मतलब है पोजीशन से
ऐसे लोगों से, या रब्बा! साथ निभाना मुश्क़िल है।
शाम ढली तो मेरी आंखों से आंसू की धार बही
अच्छा है, कोई न पूछे, वज़ह बताना
मुश्क़िल है।
- डॉ. शरद सिंह
(‘मेरे ग़ज़ल संग्रह ‘‘पतझड़ में भीग रही लड़की’’ से)

22 January, 2018

वसंत एक फूल ... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
Happy Vasant Panchami !!!

वसंत एक फूल
---------------
गुज़रते वसंतों से
एक वसंत चुन कर
टांक लिया है मैंने
यादों के लहराते
बालों में फूल की तरह
अब हर वसंत में
खिल उठता है
वही फूल
*प्लेटोनिक प्रेम की तरह।
- डॉ. शरद सिंह


21 January, 2018

ज़िन्दगी उसी समय... डॉ शरद सिंह

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh
ज़िन्दगी उसी समय...
----------------------
ख़यालों के प्याले से
यादों की
कुछ मीठी चुस्कियां
ठीक वैसे ही
जैसे कोई देखे मुड़ कर देखे
और करे महसूस
किसी के पदचाप
किसी की उपस्थिति
किसी का अपनापन
और साथ चलने की ललक
ज़िन्दगी उसी समय
भर उठती है गर्मजोशी से
अचानक ... अनायास ...।
- डॉ. शरद सिंह

#SharadSingh #Poetry #MyPoetry #World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh
#ख़यालों #प्याले #मीठी_चुस्कियां #पदचाप #उपस्थिति #अपनापन #ज़िन्दगी #गर्मजोशी #अचानक #अनायास