Poetry of Dr Sharad Singh |
ठहरो न !
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सूरज
रोज आते हो सुबह
चले जाते हो
शाम को
ये मेरा
घर है
दफ़्तर नहीं
किसी रोज़ ठहरो न
बातें करेंगे
हम रात भर...
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Shar ad_Singh
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सूरज
रोज आते हो सुबह
चले जाते हो
शाम को
ये मेरा
घर है
दफ़्तर नहीं
किसी रोज़ ठहरो न
बातें करेंगे
हम रात भर...
- डॉ शरद सिंह
#SharadSingh #Poetry
#World_Of_Emotions_By_Shar
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