Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
ग़ैरइरादतन
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घर लौटते ही
छूट जाती है कुछ बातें
चौखट के बाहर
कुछ जरूरी
कुछ अधूरी
और कुछ बस यूं ही
जिन्हें छूटना नहीं चाहिए था
फिर भी पता नहीं क्यों
छूट जाती हैं अनजाने ही...
जैसे किसी को कॉलबैक करना
या सूचना देना
अपने घर पहुंचने की
छूट जाती है बहुत सारी बातें
बस यूं ही,
ग़ैरइरादतन।
- डॉ शरद सिंह
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