Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
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बड़ा कठिन रहा है
मेरे लिए
तेरा (तेरह) का पहाड़ा
तेरा दूने होते ही
दोनों अंकों के चेहरे
हो जाते हैं परस्पर विपरीत
जैसे असहनीय हो
एक-दूसरे को देखना
तेरा तिया होते ही
बनना पड़ता है पिछल्लगू
एक को दूसरे का
बस,
आता है एक पल
सम्मुखता का
तेरा पंचे पैंसठ में
मगर फिर वही विलगाव
सचमुच बड़ा कठिन है
मेरे लिए
पढ़ना और याद रखना
तेरा का पहाड़ा।
- डॉ शरद सिंह
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