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04 April, 2019

नींद भी आती नहीं है (ग़ज़ल) ... - डॉ शरद सिंह

Neend Bhi Aati Nahin ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल

कह दिया हमने हमारा दिल कभी दुखता नहीं है
मुस्कुराने  से   दिलों  का   टूटना   छुपता नहीं है


नींद के खाते में  चढ़ते  जा  रहे हैं  ख़्वाब मेरे,
नींद भी  आती  नहीं है,  कर्ज़ भी चुकता नहीं।




इस कदर बढ़ने लगा है दर्द अब तो ज़िन्दगी में
लाख थामों नब्ज़ लेकिन  दर्द  ये  रुकता नहीं है

इस जमाने के चलन के  साथ  न 
चल  पाए हम
कोशिशें तो की मगर ये सिर कहीं झुकता नहीं है


- डॉ ( सुश्री ) शरद सिंह


26 March, 2019

ग़ैरइरादतन - डॉ शरद सिंह ... कविता

Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ैरइरादतन
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घर लौटते ही
छूट जाती है कुछ बातें
चौखट के बाहर
कुछ जरूरी
कुछ अधूरी
और कुछ बस यूं ही
जिन्हें छूटना नहीं चाहिए था
फिर भी पता नहीं क्यों
छूट जाती हैं अनजाने ही...
जैसे किसी को कॉलबैक करना
या सूचना देना
अपने घर पहुंचने की
छूट जाती है बहुत सारी बातें
बस यूं ही,
ग़ैरइरादतन।
- डॉ शरद सिंह


04 December, 2018