Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh on World Sparrow Day |
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पंखों को तौला है
खुद से ही बोला है
नन्हीं गौरैया ने-
घर के दरवाज़े,
खिड़की में जाली है
कहने भर को हैं अब
पंछी घरेलू पर
ख़ालिस बदहाली है
बाहर मोबाईल के
भरमाते टॉवर हैं
बिजली के तारों में
लावे-सा पॉवर है
भरुंगी उड़ान मगर
आंगन में बनी रहूंगी
मैं तो भईया,
डटी हुई हूं अब तक
देख मैं मुनईया !
- डॉ. शरद सिंह
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