Shayari of Dr (Miss) Sharad Singh |
चार क़िताबें पढ़ कर दुनिया को पढ़ पाना मुश्क़िल है।
हर अनजाने को आगे बढ़, गले लगाना मुश्क़िल है।
सबको रुतबे से मतलब है, मतलब है पोजीशन से
ऐसे लोगों से, या रब्बा! साथ निभाना मुश्क़िल है।
शाम ढली तो मेरी आंखों से आंसू की धार बही
अच्छा है, कोई न पूछे, वज़ह बताना मुश्क़िल है।
- डॉ. शरद सिंह
हर अनजाने को आगे बढ़, गले लगाना मुश्क़िल है।
सबको रुतबे से मतलब है, मतलब है पोजीशन से
ऐसे लोगों से, या रब्बा! साथ निभाना मुश्क़िल है।
शाम ढली तो मेरी आंखों से आंसू की धार बही
अच्छा है, कोई न पूछे, वज़ह बताना मुश्क़िल है।
- डॉ. शरद सिंह
सच मन की बातें अपने जैसों से ही की जा सकती है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार २६जनवरी २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मन के भावों को अभिव्यक्त करती बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, सटीक और सार्थक अभिव्यक्ति
ReplyDeleteवाह!!!!
शाम ढली तो मेरी आंखों से आंसू की धार बही
ReplyDeleteअच्छा है, कोई न पूछे, वज़ह बताना मुश्क़िल है।
- वाह !! आदरनीय शरद जी -- बहुत ही मर्मस्पर्शी भाव हैं आपकी रचना के | मुझे बहुत पसंद आई | सादर सस्नेह शुभकामना और गणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाई |