Dr (Miss) Sharad Singh |
पिसता है दिन
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
चाकी के पाट में
पिसता है दिन
पोर-पोर राहों में
घिसता है दिन।
ज़िन्दगी रुमाल-सी
ज़ेब में लिए
रोज़गार की तलाश में
बहुत जिए
अब तो बाज़ारों में
बिकता है दिन
बूंद-बूंद पानी-सा
रिसता है दिन।
घूंट भी करेले के
मिलें तो सही
लिए बिना ऋण, कर्जों से
भरी बही
इंच-इंच मुश्क़िल से
खिंचता है दिन
बेहद आहिस्ता
आहिस्ता है दिन।
अंधापन न्याय का
द्वार-द्वार पर
ज़िरह बिना छीन लिया
आंगन औ' घर
काल-कोप जैसा ही
दिखता है दिन
मुरझाए फूल का
गुलिस्तां है दिन।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
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Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah |
घूंट भी करेले के
ReplyDeleteमिलें तो सही
लिए बिना ऋण, कर्जों से
भरी बही...सही संदर्भो को प्रासंगिक बनाती गूढ़ अभिव्यक्ति..
इस अमूल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी !!!
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा सोमवार 28 दिसंबर 2020 को 'होंगे नूतन साल में, फिर अच्छे सम्बन्ध' (चर्चा अंक 3929) पर भी होगी।--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्त्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाए।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
रवीन्द्र सिंह यादव जी,
Deleteमेरा नवगीत चर्चा मंच में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद !!!
यह मेरे लिए सुखद है, प्रसन्नतादायक है।
आपका आभार !!!
सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुशील कुमार जोशी जी !!!
Deleteवाह!बहुत ख़ूबसूरत सृजन।
ReplyDeleteसादर
बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता सैनी जी !!!
Deleteवाह
ReplyDeleteबहुत सुंदर
सार्थक नवगीत
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं 💐🙏🏻💐
डॉ. वर्षा सिंह
इस अमूल्य टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद!!!
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा चौहान जी 🌹🙏🌹
Deleteसुन्दर प्रस्तुति आदरणीय ।
ReplyDeleteदीपक कुमार भानरे जी आपको हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
Deleteज़िन्दगी रुमाल-सी
ReplyDeleteज़ेब में लिए
रोज़गार की तलाश में
बहुत जिए - - अंदाज़े बयां ऐसा कि हर शब्द, निशब्द कर जाये - - बेहद सुन्दर सृजन।
आपकी उत्साहवर्द्धक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद शांतनु सान्याल जी 🌹🙏🌹
Deleteबहुत धन्यवाद ओंकार जी 🌹🙏🌹
ReplyDeleteमुरझाए फूल का
ReplyDeleteगुलिस्तां है दिन।
बहुत सुन्दर
बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक सिन्हा जी 🌹🙏🌹
Deleteअतिसुंदर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शकुंतला जी 🌹🙏🌹
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