Dr (Miss) Sharad Singh |
आंसू बूंद चुए
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
तथाकथित मित्रों के
किस्से ख़त्म हुए।
प्रेम की चादर
जर्जर निकली
फटे-पुराने थे रिश्ते
एक-एक करके
टूट गए फिर
नेहबंध घिसते-घिसते
सूखी आंखों से भी
आंसू बूंद चुए।
ग्रंथों पर भी
धूल जम गई
टूट गए सीवन धागे
दरवाज़े पर
अशुभ लिखा कर
देंखेंगे, जो हो आगे
दिल के पिंजरे में
क्या पालें मरे सुए।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
ReplyDeleteप्रेम की चादर जर्जर निकली। बहुत खूब। बधाई और शुभकामनाएं। सादर।
हार्दिक धन्यवाद वीरेन्द्र सिंह जी 🌹🙏🌹
Deleteबहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी 🌹🙏🌹
Deleteसुंदर,हृदय स्पर्शी रचना..।
ReplyDeleteजिज्ञासा सिंह जी हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
Deleteप्रेम की चादर जर्जर तो है , पर उष्मा का स्रोत सबल ।
ReplyDeleteकल परसो और आज अभी भी नित ऋतु श्री के श्री अंचल !!
धन्यवाद विक्रांत सिंह जी 🌹🙏🌹
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