24 December, 2020

आंसू बूंद चुए | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत | संग्रह - आंसू बूंद चुए

 

Dr (Miss) Sharad Singh









आंसू बूंद चुए

   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


तथाकथित मित्रों के 

         किस्से ख़त्म हुए।


प्रेम की चादर 

जर्जर निकली

फटे-पुराने थे रिश्ते

एक-एक करके 

टूट गए फिर 

नेहबंध घिसते-घिसते


सूखी आंखों से भी

          आंसू बूंद चुए।



ग्रंथों पर भी 

धूल जम गई

टूट गए सीवन धागे

दरवाज़े पर

अशुभ लिखा कर

देंखेंगे, जो हो आगे


दिल के पिंजरे में

        क्या पालें मरे सुए।


         --------


(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)



Ansoo Boond Chuye - Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah


8 comments:


  1. प्रेम की चादर जर्जर निकली। बहुत खूब। बधाई और शुभकामनाएं। सादर।

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    1. हार्दिक धन्यवाद वीरेन्द्र सिंह जी 🌹🙏🌹

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी 🌹🙏🌹

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  3. सुंदर,हृदय स्पर्शी रचना..।

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    1. जिज्ञासा सिंह जी हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹

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  4. प्रेम की चादर जर्जर तो है , पर उष्मा का स्रोत सबल ।
    कल परसो और आज अभी भी नित ऋतु श्री के श्री अंचल !!

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    1. धन्यवाद विक्रांत सिंह जी 🌹🙏🌹

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