मित्रों का स्वागत है - डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
इक अलाव जलने दो
- डाॅ शरद सिंह
जाड़े की रात
ठिठुराते
बड़े पहर
चलने दो,
जीवन में
गरमाहट लाने को
यादों का
इक अलाव जलने दो।
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जो हमारे होने की गवाही देता है ... यादों का अलाव । अति सुन्दर ।
हार्दिक धन्यवाद अमृता तन्मय जी 🙏
सादर नमस्कार,आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-12-2020) को "उषा की लाली" (चर्चा अंक- 3905) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।…"मीना भारद्वाज"
प्रिय मीना जी, आपने मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित किया, यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🌹🙏
बहुत सुंदर
बहुत शुक्रिया ओंकार जी 🙏
सुन्दर रचना।
हार्दिक धन्यवाद शांतनु सान्याल जी 🙏
गर्माहट लानी है तो इक अलाव जलने दोबहुत खूब...।
बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी 🙏
बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी 🙏
वाह!बेहतरीन आदरणीय दी...यादों का एक अलाव।सादर
जो हमारे होने की गवाही देता है ... यादों का अलाव । अति सुन्दर ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अमृता तन्मय जी 🙏
Deleteसादर नमस्कार,
ReplyDeleteआपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 04-12-2020) को "उषा की लाली" (चर्चा अंक- 3905) पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।
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"मीना भारद्वाज"
प्रिय मीना जी,
Deleteआपने मेरी रचना को भी चर्चा में सम्मिलित किया, यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है।
बहुत बहुत धन्यवाद 🙏🌹🙏
बहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया ओंकार जी 🙏
Deleteसुन्दर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शांतनु सान्याल जी 🙏
Deleteगर्माहट लानी है तो इक अलाव जलने दो
ReplyDeleteबहुत खूब...।
बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी 🙏
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी 🙏
ReplyDeleteवाह!बेहतरीन आदरणीय दी...यादों का एक अलाव।
ReplyDeleteसादर