Dr (Miss) Sharad Singh |
पिंजरे में बेचैन सुआ
- डाॅ (सुश्री) शरद सिंह
गीली लकड़ी
भीगी आंखें
धुंआ-धुंआ
छप्पर सारी रात चुआ।
सिलवट वाले
बिस्तर पर
बूंद-बूंद कर
असगुन छाया
मन का
कच्चा फर्श सिताया
उधड़ी सीवन
फूटी क़िस्मत
धुंआ-धुंआ
पिंजरे में बेचैन सुआ।
दस्तक वाली
चैखट पर
सन्नाटे ने
भीड़ लगाया
घर का
औंधापन गहराया
सूनी देहरी
टूटा दरपन
धुंआ-धुंआ
हरदम बेहद बुरा हुआ।
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(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)
Pinjare Me Bechain Suaa - Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah |
उधड़ी सीवन
ReplyDeleteफूटी क़िस्मत
धुंआ-धुंआ
पिंजरे में बेचैन सुआ।
मर्मस्पर्शी
हार्दिक धन्यवाद कविता रावत जी 🌹🙏🌹
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