28 December, 2020

चिड़िया तरसे दाने-दाने | आंसू बूंद चुए | डाॅ (सुश्री) शरद सिंह | नवगीत संग्रह

Dr (Miss) Sharad Singh

चिड़िया तरसे दाने-दाने

   - डाॅ (सुश्री) शरद सिंह


खुले पंख की बंद उड़ाने

    चिड़िया तरसे दाने-दाने।


इकलौते

सूरज से झाकें

मुट्ठी भर

किरणों के तिनके

शहरों की

परिपाटी बूझो

तुम किनके, हम किनके?


रिश्तों के हैं रिक्त खज़ाने

   तिल-तिल टूटे नेह सयाने।



सपनीलीं 

आखों की दुनिया

पलछिन

सपन सहेजे

मौसम ने

जैसे रख डाले

तेज़ धूप में खुले बरेजे


हर चेहरे बेबस, बेगाने

   मनवा गए दुखी तराने।

     --------

(मेरे नवगीत संग्रह ‘‘आंसू बूंद चुए’’ से)

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Dr (Miss) Sharad Singh, Navgeet, By Ansoo Boond Chuye - Navgeet Sangrah

10 comments:

  1. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा जी 🌹🙏🌹

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 31.12.2020 को चर्चा मंच पर दिया जाएगा| आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ाएगी
    धन्यवाद

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    1. दिलबाग सिंह विर्क जी,
      मेरा नवगीत चर्चा मंच में शामिल के लिए हार्दिक धन्यवाद !
      यह मेरे लिए अत्यंत प्रसन्नता का विषय है। आपका आभार 🌹🙏🌹
      - डॉ. शरद सिंह

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  3. बहुत ही सुंदर सृजन शरद जी ,आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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    1. हार्दिक धन्यवाद कामिनी सिन्हा जी 🙏
      आपको भी सपरिवार नववर्ष की असीम शुभकामनाएं 🙏⭐🌹⭐🙏

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  4. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति खरे जी 🙏
      आपको नववर्ष की शुभकामनाएं 🙏⭐🌹⭐🙏

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  5. बहुत ही सुन्दर सृजन प्रकृति के मेल बंधन से रची हुई - - नूतन वर्ष की असीम शुभकामनाएं।

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    1. हार्दिक धन्यवाद शांतनु सान्याल जी जी 🙏
      आप और आपके परिवार के लिए नववर्ष की मंगलमय हो 🙏⭐🌹⭐🙏

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