29 June, 2021

लंबी उम्र की दुआ | कविता | डॉ शरद सिंह

लम्बी उम्र की दुआ
           - डॉ शरद सिंह

मत दो मुझे
लम्बी उम्र की दुआएं

क्योंकि-

कौंधने लगता है
मेरी स्मृति में
वह सीरियाई बच्चा
नाम था
एलन कुर्दी 
मिला था मृत
औंधे मुंह पड़ा
तुर्की के समुद्री तट पर
दहल उठी दुनिया
पर
नहीं थमा युद्ध

कौंधने लगता है
मेरी स्मृति में
उगांडा का वह 
भुखमरा बच्चा
अंतिम सांसे गिनता
और 
उसे टोहता गिद्ध
तस्वीर देख
कांप उठी दुनिया
पर ग़रीबी नहीं थमी

कौंध जाता है
मोबाईल पर
पानी मांगता वह स्वर
आईसीयू कोविड वार्ड से
जो मेरी दीदी का था
पौन घंटे तक 
नहीं मिल सका था उन्हें पानी
मैं रोती रही अपनी लाचारी पर
मैं तुरंत नहीं पिला सकी पानी
न उन्हें
न और कोविड मरीजों को
दीदी चली गयीं
कुछ और मरीज भी

अब कहो,
लहूलुहान आत्मा के साथ
क्या करूंगी 
लम्बी उम्र का?
अपनी लाचारी के 
अपराधबोध के बीच
 यूं भी चुभती है तनहाई
हीरोशिमा विध्वंस के बाद के
सन्नाटे-सी।
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4 comments:

  1. सही कहा आपने शरद जी,
    इन बातों का कोई उत्तर ही नहीं जैसे इस दुनिया में 🙏💐

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी 🙏

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  2. भाव प्रवण कर गई आपकी लिखी यह रचना। कौन भला जीना चाहे ऐसे में। ।।।।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम कुमार सिन्हा 🙏

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