है ज़रूरी
- डॉ शरद सिंह
जब कोई भुला दे
किसी को
तो मानें
कि या तो वह
ड्रामा कर रहा है
भूलने का
या फिर
उसने कभी
याद रखा ही नहीं।
याद उसे रखते हैं
जिसे करते हैं प्रेम
यानी उसने
कभी प्रेम किया ही नहीं
प्रेम है चांद
प्रेम है सूरज
प्रेम है युद्ध
प्रेम है शांति
प्रेम है मृत्यु
प्रेम है जीवन
प्रेम है लौकिक
प्रेम है अलौकिक
हां,
एक तरफा प्रेम भी
प्रेम ही तो है
कांच में एक तरफा लगे
पारे से बने दर्पण की तरह
जो दिखाता है प्रतिबिंब
भावनाओं का
इसीलिए है ज़रूरी
पीछे देखने की
दर्पण के
सच को जान लेने के लिए।
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वाह! बहुत सुंदर।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🙏
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