बधाई हो
- डॉ शरद सिंह
सबको
बधाई हो पर्यावरण दिवस की !
चलो आज गिनें
अपनी पर्यावरणीय प्रगति -
जिसे भगीरथ लाया था
धरती पर
अपने अथक प्रयासों से
ताकि धुल जाएं मानवों के पाप
हो जाएं मुक्त मानवीय आत्माएं
वही निर्मल, पावन गंगा
प्रदूषण से
कर दिया है लबरेज़ हमने उसे
और तो और,
लाशें उगलती है उसकी रेत
कोरोना से मरने वालों की
पछताती होगी आज गंगा भी
कि वह क्यों उतरी
शिव की जटाओं से
ख़ैर, बधाई हो पर्यावरण दिवस की !
हमने शहर फैलाए
ज़मीनें हड़पी
और
काट दिए वृक्ष
जंगलों से
क्या खूब !
कि आज हमारे अपने
तरस-तरस कर मरे हैं
दो सांस ऑक्सीजन के लिए
फिर भी हम काटेंगे
बेजान हीरों के लिए
जानदार जंगल
तो क्या, बधाई हो पर्यावरण दिवस की !
ग्लेशियर तो बर्फ़ है
पिघलेंगे ही
समुद्र है तो सुनामी आएगी ही
पर्वत हैं तो होगा भूस्खलन भी
इसमें हम मनुष्यों का क्या दोष?
चिंता भी क्यों करें
मध्यप्रदेश में नहीं आएगी सुनामी राजस्थान में नहीं पिघलेगा ग्लेशियर
केरल में नहीं ढहेंगे पर्वत
ग्लोबल वार्मिंग
जलवायु परिवर्तन
हमें इनसे क्या?
तो चलो देखें
गमले में उगे कैक्टस
और खुश होकर एक दूसरे से कहें-
बधाई हो
अपनी पर्यावरणीय तरक्की की
और
पर्यावरण दिवस की !
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कटु लेकिन सत्य
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏
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