09 May, 2021

हम एक्सपेरीमेंटल चूहे | कविता | डॉ शरद सिंह |

 हम एक्सपेरीमेंटल चूहे
                 - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

इस मौत के तांडव में
कौन आएगा मदद को
कोई भी नहीं
डरे हुए नहीं करते मदद 
और डरे हुओं को नहीं मिलती है मदद
 ग़ाफ़िल रहते हुए इस सोच में-
कि कभी नहीं आएगी हमारी बारी।

सच तो ये है कि
हम खुद को लपेटते जा रहे हैं
अपने भ्रम और भय की अनेक पर्तों में
काल अट्टहास कर रहा है और हम...
हम माला जप रहे हैं
झूठी महानताओं की।

वह
जो बेड और ऑक्सीजन नहीं जुटा सका
वह 
जो प्राईवेट अस्पताल से ज़िंदगी नहीं ख़रीद सका
वह 
जो सरकारी अस्पताल में वेंटीलेटर नहीं पा सका
वह
जिसके हिस्से का जीवन रक्षक इंजेक्शन
बेच दिया गया
वह 
जो भर्ती कराने के बाद
दुबारा नहीं देख सका 
अपनी ज़िंदगी के हिस्से को

कथित 'सिस्टम'
और लाचार हम
एक ज़िंदगी
पर ग़म ही ग़म

बिना मंज़िल की दौड़
दौड़ते हुए
गोया हम बन गए हैं-
एक्सपेरीमेंटल चूहे
किसी बड़ी-सी प्रयोगशाला के।
           ------------

#शरदसिंह #डॉशरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह
#SharadSingh #Poetry #poetrylovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

1 comment:

  1. ठीक कहा शरद जी आपने। हालात यही हैं।

    ReplyDelete