23 May, 2021

उसे क्या | कविता | डॉ शरद सिंह | नवभारत में प्रकाशित

मेरी कविता "उसे क्या" को आज 23.05.2021  को "नवभारत" के रविवारीय अंक में प्रकाशित किया गया है जिसके लिए "नवभारत" का हार्दिक आभार 🙏
उसे क्या ?
      - डॉ शरद सिंह

बुझ गई 
सूरज की एक किरण
टूट गया एक तारा
बिखर गया एक घर

तो क्या?
मृत्यु है साश्वत
इसलिए बन जाओ दार्शनिक
और
मत पूछो कारण मृत्यु का 
मृत्यु टहलती है इनदिनों
अस्पतालों के आईसीयू वार्डों में
फेफड़ों से ऑक्सीजन सोखती हुई
प्राणरक्षक दवाओं को हराती हुई
जीने की उम्मीदों को तड़पाती हुई
उसे क्या
जो सिर्फ़ बची अकेली छोटी बहन
उसे क्या
जो सिर्फ़ बचे बूढ़े दादा और नन्हें पोते
उसे क्या
जो सिर्फ़ बचे अनाथ बच्चे
उसे क्या .....
क्या 'सिस्टम' से  मिलीभगत है उसकी भी?
सुना है किस्सा कि 
एक उलूक-दम्पत्ती ने धन्यवाद दिया था 
तैमूरलंग को 
कि वह जब तक है उजड़ते रहेंगे गांव
और बसते रहेंगे उलूकों के घर...
अब न युद्ध है और न तैमूरलंग
फिर भी मृत्यु ने फैला दिए हैं पंजे
गांवों तक
सुविधा नहीं, सुरक्षा नहीं, चिकित्सा नहीं
तो क्या?
मृत्यु को अच्छे लगते हैं शोकगीत
वह तो गाएगी, 
भले ही फट जाए धरती का कलेजा
उसे क्या....
       ------------------

#शरदसिंह #डॉशरदसिंह #डॉसुश्रीशरदसिंह
#SharadSingh #Poetry #poetrylovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh 

9 comments:

  1. सुन्दर रचना और उससे भी अधिक सुन्दर हैं उसके पीछे छुपे वो भाव जो हर एक शब्द में दिखते हैं!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद भावना वरुण जी 🙏

      Delete
  2. मृत्यु को अच्छे लगते हैं शोकगीत
    वह तो गाएगी,
    भले ही फट जाए धरती का कलेजा
    उसे क्या....

    सच उसे क्या ... मार्मिक .

    ReplyDelete
    Replies
    1. संगीता स्वरूप जी हार्दिक धन्यवाद 🙏

      Delete
  3. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा रविवार (23-05-2021 ) को 'यह बेमौसम बारिश भली लग रही है जलते मौसम में' (चर्चा अंक 4074) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

    ReplyDelete
    Replies
    1. रविंद्र सिंह यादव जी मेरी कविता को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद 🙏

      Delete
  4. मनुष्य यहीं आकर बेबस और लाचार हो जाता है।

    ReplyDelete
    Replies
    1. सच है ....
      बहुत-बहुत धन्यवाद मीना शर्मा जी 🙏

      Delete
  5. मार्मिक उद्बोधन देती हृदय दहलाती संवेदनाओं से भरी रचना जो हृदय की छलकती पीड़ा को दर्शा रही है।
    धैर्य रखें बस यही कह सकती हूं बाकी निशब्द हैं ।

    ReplyDelete