रह जाता है बचा
- डॉ शरद सिंह
अनुभवों की नहीं होती है कोई सीमा
अकसर हम सोचते हैं
कि हमने देख लिए हैं -
दुख के सारे रंग
तभी टूट जाता है कुर्सी का पाया
निकल जाता है गाड़ी का पहिया
आ जाती है सामने से बेकाबू ट्रक
या पता चलता है
आखिरी स्टेज़ का कैंसर या कोरोना
वह भी खुद को नहीं
उसको जो प्रिय है खुद से भी ज़्यादा
वज़ूद को हिला देने वाला यह अनुभव
तोड़ देता है
पिछले सारे अनुभवों के रिकॉर्ड
टूट जाती हैं -
सारी आस्थाएं
सारी मान्यताएं
सारे विश्वास
मन हो जाता है नास्तिक
हो जाती है विरक्ति
फूल, दीपक, अगरबत्ती, धूप, हवन, आचमन से
व्यवस्था की ख़ामियों
राजनीतिक लिप्साओं
तमाम संवेदनहीनताओं
को कोसता, छटपटाता
उस हृदयाघाती अनुभव से गुज़र कर
जो रह जाता है बचा
वह
वह नहीं रहता
जो पहले हुआ करता था।
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आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 18 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteमेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार यशोदा अग्रवाल जी 🙏
Deleteबहुत बड़ा, बहुत तीखा सच निकला है आपकी ज़ुबां से। ऐसे सच सहने वाले की ज़ुबां ही कह सकती है।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏
Deleteसच ... ये सब झेलता हुआ हर इंसान मन और कर्म दोनों से ही बदल जाता है ।।
ReplyDeleteजी !
Deleteहार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏
सदियीं से प्रवाहमान सृष्टि का सबसे बड़ा सच यही है आना और जाना।
ReplyDeleteबेशक़ !
Deleteकिन्तु कोरोना आपदा ने जाने की गति को और बढ़ा दिया ह।
टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आपका 🙏
बदलाव की व्यथा का सत्य वर्णन,प्रभावी रूप से व्यक्त किया।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुपमा त्रिपाठी जी 🙏
Deleteदुख कितना भी बड़ा हो आस्था उससे भी बड़ी होती है, कुछ समय के लिए ढक जाए पर उसके बिना जीवन जीवन नहीं रहता, क्योंकि वह कहीं बाहर से नहीं आती वह तो मन का आधार है
ReplyDeleteमुझे धैर्य बंधाने के लिए हार्दिक धन्यवाद अनिता जी 🙏
Deleteहृदयस्पर्शी सृजन ।
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद शुभा जी 🙏
Deleteटूट जाती हैं -
ReplyDeleteसारी आस्थाएं
सारी मान्यताएं
सारे विश्वास
मन हो जाता है नास्तिक
हो जाती है विरक्ति
फूल, दीपक, अगरबत्ती, धूप, हवन, आचमन से
जब अपना ही मन अपनी ही आस्था पर सवाल उठाता है जब सब अच्छा होगा अच्छे के लिए होगा का भ्रम टूटता है.....
बहुत ही मार्मिक हृदयस्पर्शी सृजन।
हार्दिक धन्यवाद सुधा देवरानी जी ।
Deleteजीवन का सत्य है ये तो मैम
ReplyDeleteनिःसंदेह...
Deleteहार्दिक धन्यवाद प्रीति मिश्र जी 🙏