17 May, 2021

जो रह जाता है बचा | कविता | डॉ शरद सिंह


 रह जाता है बचा
                  - डॉ शरद सिंह

अनुभवों की नहीं होती है कोई सीमा
अकसर हम सोचते हैं
कि हमने देख लिए हैं -
दुख के सारे रंग
तभी टूट जाता है कुर्सी का पाया
निकल जाता है गाड़ी का पहिया
आ जाती है सामने से बेकाबू ट्रक
या पता चलता है
आखिरी स्टेज़ का कैंसर या कोरोना
वह भी खुद को नहीं
उसको जो प्रिय है खुद से भी ज़्यादा
वज़ूद को हिला देने वाला यह अनुभव
तोड़ देता है
पिछले सारे अनुभवों के रिकॉर्ड
टूट जाती हैं -
सारी आस्थाएं
सारी मान्यताएं
सारे विश्वास
मन हो जाता है नास्तिक
हो जाती है विरक्ति
फूल, दीपक, अगरबत्ती, धूप, हवन, आचमन से

व्यवस्था की ख़ामियों
राजनीतिक लिप्साओं
तमाम संवेदनहीनताओं
को कोसता, छटपटाता
उस हृदयाघाती अनुभव से गुज़र कर
जो रह जाता है बचा
वह
वह नहीं रहता
जो पहले हुआ करता था।
        -------------

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#SharadSingh #Poetry #poetrylovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

18 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" मंगलवार 18 मई 2021 को साझा की गयी है.............. पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद एवं आभार यशोदा अग्रवाल जी 🙏

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  2. बहुत बड़ा, बहुत तीखा सच निकला है आपकी ज़ुबां से। ऐसे सच सहने वाले की ज़ुबां ही कह सकती है।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जितेन्द्र माथुर जी 🙏

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  3. सच ... ये सब झेलता हुआ हर इंसान मन और कर्म दोनों से ही बदल जाता है ।।

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    1. जी !
      हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏

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  4. सदियीं से प्रवाहमान सृष्टि का सबसे बड़ा सच यही है आना और जाना।

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    1. बेशक़ !
      किन्तु कोरोना आपदा ने जाने की गति को और बढ़ा दिया ह।
      टिप्पणी के लिए हार्दिक आभार आपका 🙏

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  5. बदलाव की व्यथा का सत्य वर्णन,प्रभावी रूप से व्यक्त किया।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुपमा त्रिपाठी जी 🙏

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  6. दुख कितना भी बड़ा हो आस्था उससे भी बड़ी होती है, कुछ समय के लिए ढक जाए पर उसके बिना जीवन जीवन नहीं रहता, क्योंकि वह कहीं बाहर से नहीं आती वह तो मन का आधार है

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    1. मुझे धैर्य बंधाने के लिए हार्दिक धन्यवाद अनिता जी 🙏

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  7. हृदयस्पर्शी सृजन ।

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    1. बहुत धन्यवाद शुभा जी 🙏

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  8. टूट जाती हैं -
    सारी आस्थाएं
    सारी मान्यताएं
    सारे विश्वास
    मन हो जाता है नास्तिक
    हो जाती है विरक्ति
    फूल, दीपक, अगरबत्ती, धूप, हवन, आचमन से
    जब अपना ही मन अपनी ही आस्था पर सवाल उठाता है जब सब अच्छा होगा अच्छे के लिए होगा का भ्रम टूटता है.....
    बहुत ही मार्मिक हृदयस्पर्शी सृजन।

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    1. हार्दिक धन्यवाद सुधा देवरानी जी ।

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  9. जीवन का सत्य है ये तो मैम

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    1. निःसंदेह...
      हार्दिक धन्यवाद प्रीति मिश्र जी 🙏

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