07 May, 2021

हमारा स्याह आज | कविता | डॉ शरद सिंह

हमारा स्याह आज
               - डॉ शरद सिंह

इतिहास के पन्नों से उतर कर
वर्तमान में गूंजता
नीरो की बांसुरी का स्वर
आशा और निराशा के बीच 
अपनों को बचा लेने का संघर्ष
तीन पर्तों में लिपटे शवों के ढेर
जलती चिताओं पर विधिविधान की ललक
गोया विधिविधान 
रुई के फ़ाहे की तरह
पोंछ देगा लहू में डूबे
दर्द के धब्बों को
चिताएं जल रही हैं
संघर्ष ज़ारी है धब्बे पोंछने का
नीरो की बांसुरी
छेड़ रही है राजनीतिक राग
और चल रही है-
लहर एक
लहर दो
लहर तीन....
लहरें गिन रहे डरे हुए लोग
रोम को जला कर 
नीरो की बांसुरी का स्वर
छीन रहा है 
हर दूसरे, तीसरे घर के
एक न एक सदस्य को
गोया इतिहास जागृत हो गया है
या हम तेजी से बनते जा रहे हैं इतिहास?
सच, यही तो है हमारा स्याह आज...
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#SharadSingh #Poetry #poetrylovers
#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh

10 comments:

  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०८-०५ -२०२१) को 'एक शाम अकेली-सी'(चर्चा अंक-४०५९) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनीता जी 🙏

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  2. बेहद भावुक करने वाली रचना । समय के क्रूरतम चेहरे को ठीक दिखा पाने में सक्षम कविता के लिए बधाई शरद जी

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  3. बहुत खूब ल‍िखा शरद जी, परंतु इस तरह घर-नगर के जलने के दोषी हम भी हैं, सात दशक से चला आ रहा स‍िस्टम आसान नहीं है बदल पाना...अकेला नीरो ही अभ‍िशप्त क्यों हो...हम भी हैं... कई भूतपूर्व और भव‍िष्य के ल‍िए गढ़े़े जा रहे नीरो भी तो हैं

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  4. बेहद मार्मिक रचना

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  5. मर्मस्पर्शी सृजन

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  6. हर दूसरे, तीसरे घर के
    एक न एक सदस्य को
    गोया इतिहास जागृत हो गया है
    या हम तेजी से बनते जा रहे हैं इतिहास?

    बहुत मार्मिक ...

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  7. सबै दिन एक से ना जात ....इतिहास के पन्ने भी पलटते हैं. कृष्ण की बांसुरी सुनने को हम जीते हैं.
    अंतर्वेदना को शब्दों में ढालने के लिए धन्यवाद.

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  8. और चल रही है-
    लहर एक
    लहर दो
    लहर तीन....
    लहरें गिन रहे डरे हुए लोग
    सच में, डर ही एक शाश्वत भाव सा हो गया है। दूरियाँ तो पहले ही बढ़ी हुई थीं जमाने में अब तो वैधानिक मान्यता भी मिल गई उन्हें...

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  9. "अपनों को बचा लेने का संघर्ष"
    .....यह आज का कठोर सच है। हम वाकई लहरों की गिनती कर रहे हैं कि अब इसमें क्या होगा? यह सवाल हर कोई के ज़हन में है।
    इस रचना के माध्यम से आपने कठोर सत्य का सफर कराया है। बढ़िया लिखा है आपने।

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