19 May, 2021

इतिहास में हम | कविता | डॉ शरद सिंह

इतिहास में हम
          - डॉ शरद सिंह

हम कोसते हैं हिटलर को
हम कोसते हैं मुसोलिनी को
हम कोसते हैं सद्दाम को
हम कोसते हैं उन सभी को जो
इतिहास में दर्ज़ हैं / होते जा रहे हैं
जनता विरोधी शासक के रूप में
क्यों नहीं खुल कर कोसते 
उनको भी
जो हैं हत्यारे मानवता के 
और बेचते हैं नकली इंग्जेक्शन
नकली दवाएं
नकली ऑक्सीजन
गिद्ध या हायेना से भी बदतर
नोंच-नोंच कर खाने वाले
जीवन की उम्मीदों को
नरभक्षी नहीं तो और क्या?

खुले चौराहे में संगसार होने लायक़
खुलेआम फांसी चढ़ा दिए जाने लायक़
कब तक छुपे रहेंगे
संगमरमर की दीवारों के पीछे
वक्त की लाठी तो पड़ेगी ही उन पर
एक दिन

काश! 
जनता की लाठी भी पड़ती उन पर
लम्बे कानूनी दांव पेंच से पहले
फिर हम जब इतिहास बनते
तो दर्ज़ न होते
एक आक्रोशहीन भीरु की तरह।
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#World_Of_Emotions_By_Sharad_Singh 

12 comments:

  1. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर ( 3034...रात की सियाही को उजाले से जोड़ोगे कैसे...?) गुरुवार 20 मई 2021 को साझा की गई है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. मेरी कविता को 'पाँच लिंकों का आनन्द'में शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र सिंह यादव जी 🙏

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  2. कितना घिनौना सच है यह आज का, इसकी जितनी भर्त्सना की जाए कम है, कानून से वे बच नहीं सकते, न मानवीय कानून से न ईश्वरीय कानून से

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    1. जी हां अनीता जी!
      व्यवस्था चरमराई हुई है।

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    1. धन्यवाद शिवम कुमार पाण्डेय जी !

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  4. आक्रोश से भरा सटीक प्रश्न
    काश!
    जनता की लाठी भी पड़ती उन पर
    लम्बे कानूनी दांव पेंच से पहले
    फिर हम जब इतिहास बनते
    तो दर्ज़ न होते
    एक आक्रोशहीन भीरु की तरह।
    सही कहा आपने हर चीज नियति पर छोड़ कर बस हम इतिहास ही बनते जा रहे हैं ।
    शानदार सृजन।

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    1. हार्दिक धन्यवाद कुसुम कोठारी जी !

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  5. भूल जाने की कला हम भारतीयों में खूब है! एडजस्ट करने में हम इतने माहिर हो गए हैं की सरकारें पूरी तरह से चरमरा क्यों न जाए हम एडजस्ट कर लेंगे और मुँह से आह तक नहीं निकलेगी! अब भी नहीं बोलेंगे तो नदियों में बहते मिलेंगे सब क्यूंकि महामारी और अराजकता के इस दौर में जवाबदेही न के बराबर है!

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    1. हार्दिक धन्यवाद भावना वरुण जी 🙏

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  6. एक एक शब्द सच्चाई कहता है । ऐसे लोगों को संगसार ही करना चाहिए । आपकी लेखनी का प्रहार दूर तक चोट करे ।

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    1. आमीन !!!
      हार्दिक धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🙏

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