Dr (Miss) Sharad Singh |
ग़ज़ल
किसानों की बातें
- डॉ. (सुश्री) शरद सिंह
सियासत नहीं हैं, किसानों की बातें।
तिज़ारत नहीं हैं, किसानों की बातें।
खेती, किसानी नहीं सब के बस की
नफ़ासत नहीं हैं, किसानों की बातें।
पसीना बहाए, लहू को सुखाए
शरारत नहीं हैं, किसानों की बातें।
भले ही अंगूठा लगा कर जिए वो
ज़हालत नहीं हैं, किसानों की बातें।
जो हक़ मांगने को, उठाए वो बांहें
बग़ावत नहीं हैं, किसानों की बातें।
'शरद' वो नहीं हैं किसी के भी दुश्मन
अदावत नहीं हैं, किसानों की बातें।
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भारतीय किसान | Indian Farmer |
दिग्विजय अग्रवाल जी,
ReplyDeleteआभारी हूं कि आपने मेरी ग़ज़ल को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" शामिल किया है। यह मेरे लिए सुखद है। आपको बहुत-बहुत धन्यवाद 🌹🙏🌹
- डॉ शरद सिंह
आपने बिलकुल ठीक फ़रमाया शरद जी । बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है आपने जो कि मौजूदा हालात पर सही नज़रिया पेश करती है ।
ReplyDeleteमौजूदा हालात अत्यंत व्यथित करने वाले हैं जितेन्द्र जी।
Deleteआपको हार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
यथार्थ पूर्ण सृजन..
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद जिज्ञासा सिंह जी 🌹🙏🌹
Deleteबहुत ख़ूब...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद 🌹🙏🌹
Deleteसमसामयिक घटनाचक्र को रेखांकित करती बेहतरीन रचना
ReplyDeleteअभिलाषा जी, बहुत-बहुत धन्यवाद 🌹🙏🌹
Deleteपसीना बहाए, लहू को सुखाए
ReplyDeleteशरारत नहीं हैं, किसानों की बातें।
सुंदर ग़ज़ल.......सही कहा आपने किसान बनना काफी मुश्किल है....
हार्दिक धन्यवाद विकास नैनवाल 'अंजान' जी 🌹🙏🌹
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