06 February, 2021

उसको ये मालूम नहीं | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | ग़ज़ल संग्रह | पतझड़ में भीग रही लड़की

 

Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल

उसको ये मालूम नहीं

- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


मेरा दिल क्या-क्या सहता है, उसको ये मालूम नहीं।

वो   मेरे  दिल  में  रहता है, उसको ये मालूम नहीं।


उसका भोलापन  चेहरे पर   अकसर हंसता रहता है

दुनियादारी  क्या  होती  है,  उसको ये मालूम नहीं।


जब भी मिलता, जिससे मिलता,  शब्दों से जादू कर जाता,

आंखों से वो क्या कह जाता,  उसको ये मालूम नहीं।


जिसको सुख का स्वाद मिल गया, उसको पीड़ा से क्या लेना,

उसके कारण  क्या ढहता है,  उसको ये मालूम नहीं।


‘शरद’ समय की धारा में तो अच्छे-अच्छे बह जाते हैं

कैसे  इक  पत्थर  बहता  है,  उसको ये मालूम नहीं।

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(मेरे ग़ज़ल संग्रह 'पतझड़ में भीग रही लड़की' से)


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5 comments:

  1. उसको ये मालूम नहीं..बहुत सुंदर गजल..

    सादर प्रणाम

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  2. जब भी मिलता, जिससे मिलता, शब्दों से जादू कर जाता,
    आंखों से वो क्या कह जाता, उसको ये मालूम नहीं।

    बेहतरीन... अनुपम ग़ज़ल...
    साधुवाद 🙏❤️🙏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद वर्षा दी 🌹🙏🌹

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  3. उम्दा अभिव्यक्ति ..

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