21 February, 2021

मालिक | डॉ (सुश्री) शरद सिंह | ग़ज़ल संग्रह | पतझड़ में भीग रही लड़की

Dr (Miss) Sharad Singh

ग़ज़ल


मालिक


- डॉ (सुश्री) शरद सिंह


अधिक नहीं तो दो मुट्ठी ही धूप मुझे दे देना, मालिक।

बदले में  दो सांसे मेरी  चाहे कम  कर लेना, मालिक।


ढेरों खुशियां, ढेरों पीड़ा,  होती है  सह पाना मुश्क़िल

मन की कश्ती  जर्जर ठहरी, धीरे-धीरे  खेना, मालिक।


मैं तो  हरदम  प्रश्नचिन्ह के  दरवाज़े  बैठी  रहती हूं

मुझे परीक्षा से  डर कैसा, जब चाहे,  ले लेना मालिक।


मोल-भाव पर उठती-गिरती, ये दुनिया बाज़ार सरीखी

साथ किसी दिन चल कर मेरे, चैन मुझे ले देना,मालिक।


बिना नेह के ‘शरद’ व्यर्थ है, दुनिया भर का सोना-चांदी

अच्छा लगता  अपनेपन का  सूखा चना-चबेना, मालिक।


--------------------------

(मेरे ग़ज़ल संग्रह 'पतझड़ में भीग रही लड़की' से)


#ग़ज़ल #ग़ज़लसंग्रह #पतझड़_में_भीग_रही_लड़की

#हिन्दीसाहित्य #काव्य #Ghazal #GhazalSangrah #Shayri #Poetry #PoetryBook #PatajharMeBheegRahiLadaki

#HindiLiterature #Literature


15 comments:

  1. अधिक नहीं तो दो मुट्ठी ही धूप मुझे दे देना, मालिक।

    बहुत सुंदर सृजन

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद मनोज जी 🌹🙏🌹

      Delete
  2. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता स्वरूप जी 🌹🙏🌹

      Delete
  3. सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत शुक्रिया संजय भास्कर जी 🌹🙏🌹

      Delete
  4. ताज़गी भरी रचना. अच्छी लगी.
    ऐसे ही लिखती रहना हमदम.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत धन्यवाद नूपुरं जी 🌹🙏🌹

      Delete
  5. वाह!दो मुठ्ठी धूप और एक मुठ्ठी आसमान मिल जाते तो और क्या चहिए ज़माने में..
    बहुत ही उम्दा! श्रेष्ठतम भाव सुंदर सृजन।
    हर परीक्षा यूं ही उत्तीर्ण करते चलिये
    यूं भाव से पुकारा है तो स्नेह प्यार से देगा मालिक।
    सस्नेह।

    ReplyDelete
    Replies
    1. कुसुम कोठारी जी, आपकी शुभकामनाओं के प्रति कृतज्ञ हूं 🙏
      हार्दिक धन्यवाद एवं आभार 🌹🙏🌹

      Delete
  6. दिव्या अग्रवाल जी,
    "पांच लिंकों का आनन्द" में मेरी ग़ज़ल को शामिल करने के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद एवं आभार 🌹🙏🌹
    - डॉ शरद सिंह

    ReplyDelete
  7. वाह!
    बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल।

    ReplyDelete
  8. ग़ज़ल में भजन-सा समर्पण । अभिनंदन शरद जी ।

    ReplyDelete
  9. इस रचना की किन शब्दों में सराहना करूं |बहुत ही सुन्दर रचना है |

    ReplyDelete