Neend Bhi Aati Nahin ... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh |
ग़ज़ल
कह दिया हमने हमारा दिल कभी दुखता नहीं हैमुस्कुराने से दिलों का टूटना छुपता नहीं है
नींद के खाते में चढ़ते जा रहे हैं ख़्वाब मेरे,
नींद भी आती नहीं है, कर्ज़ भी चुकता नहीं।
इस कदर बढ़ने लगा है दर्द अब तो ज़िन्दगी में
लाख थामों नब्ज़ लेकिन दर्द ये रुकता नहीं है
इस जमाने के चलन के साथ न चल पाए हम
कोशिशें तो की मगर ये सिर कहीं झुकता नहीं है
- डॉ ( सुश्री ) शरद सिंह
No comments:
Post a Comment