Kaun Jayega Bhala... Ghazal of Dr (Miss) Sharad Singh |
ग़ज़ल
कौन जाएगा भला उसको मनाने कोदिल नहीं करता हमारा सिर झुकाने को
इस क़दर जलने लगे हैं ख़्वाब आंखों में
अश्क़ की लहरें उठीं उनको बुझाने को
जो गिरा है मुफ़लिसी की ठोकरें खाकर
कौन झुकता है भला, उसको उठाने को
दर्द का इक कारवां, है यहां ठहरा हुआ
हो न हो, वो ही गया उसको बुलाने को
वक़्त ने देखा नहीं हमको कभी मुड़कर
याद क्यूं करना भला, गुज़रे जमाने को
- डॉ ( सुश्री ) शरद सिंह
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