Mrityu (Kavita) ... Poetry on Death by Dr (Miss) Sharad Singh |
मृत्यु
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अग्नि में जला दिया जाना
या सुला दिया जाना दो गज ज़मीन के नीचे
अनुष्ठान है देह की मृत्यु का
वहीं, बच रहना विचारों का
होना प्रवाहित
पीढ़ी-दर-पीढ़ी
प्रतीक है अमरता का
वाचिक हो या मसि-कागद जीवी
रहता है जीवित विचारों में ढल कर
अंत और अनंत से परे
उस अथाह की तरह
जिस पर अवस्थित है यह पूरा ब्रह्माण्ड।
- डॉ शरद सिंह
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