24 June, 2025

प्रेम कविता | उसे पढ़ता है प्रेम | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

प्रेम कविता
उसे पढ़ता है प्रेम
      - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

जुड़ी रहती है यादें 
अपने पुराने घर से
भले ही 
वह रहा हो
किराए का
पर 
वहां रहने का एहसास 
उस वक्त के लिए 
उसे अपना बना देता है
जैसे 
कोई सूखा हुआ फूल 
मिल जाता है 
अचानक 
दबा हुआ 
किसी पुरानी किताब में
फूल पाने का 
गुज़रा हुआ समय
हो जाता है चैतन्य 
भर जाता है ऊष्मा से
भले ही वह समय 
और वह 
फूल देने वाला भी 
अपना नहीं हुआ
लेकिन
पुराना घर हो 
या सूखा हुआ फूल
हमेशा लिखते हैं 
यादों की नई इबारत
उसे पढ़ता है प्रेम 
बड़े प्रेम से
वर्षों बाद भी।
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