अर्ज़ है -
जिस काग़ज़ पे लिखा हुआ था
एक पता वो ख़ुशियों वाला।
जाने वो कब, कहां खो गया
हमने था ख़ूब सम्हाला।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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अंतिम पंक्ति में मात्रा की कमी खटकती है, शायद 'हमने जिसको खूब सम्भाला' हो सकता है
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