03 June, 2023

कविता | बधाई हो हमें | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

बधाई हो हमें !!! 
      - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

आपस में टकराईं
तीन रेलें
मारे गए लोग
और शुरू हो गया 
खेल आंकड़ों का
अब रह जाएगी-
मृतकों की संख्या
और मुआवज़े की घोषणा

जैसे
खुलेआम मारी गई
एक नाबालिग लड़की
बने रहे सब तमाशबीन
फिर उठने लगे स्वर-
राजनीति के

दुर्घटना में राजनीति
हत्या में राजनीति
राजनीति यौनशोषण में भी

अब
लहू की नदी
हमें डराती नहीं
दरिंदगी से उठती चींख
हमें चौंकाती नहीं
औरतों की लगती बोलियां
हमें लजाती नहीं

वाह!
हम हो गए हैं प्रबुद्ध
सही-सही पढ़ लिया 
पाठ हमने,
भुलाकर इंसानियत
बन गए राजनीतिक प्यादे
और
सीख लिया है हमने -
हासिल कैसे किया जाए
किसी की आपदा में 
अपना अवसर।

बधाई हो हमें !!!

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Painting by Dr (Miss) Sharad Singh
                 डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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