Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
इकतारा
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ध्वनियां
बहुत कुछ कहती हैं
कभी सार्थक, कभी निरर्थक
मौन पी जाता है सारी ध्वनियों को
छानता है धैर्य की छन्नी से
और अच्छी ध्वनियों को
उंडेल देता है इकतारे पर
तभी तो
इकतारा होता है झंकृत
किसी देह की तरह ...
- डॉ. शरद सिंह
#SharadSingh #Poetry #MyPoetry
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ध्वनियां
बहुत कुछ कहती हैं
कभी सार्थक, कभी निरर्थक
मौन पी जाता है सारी ध्वनियों को
छानता है धैर्य की छन्नी से
और अच्छी ध्वनियों को
उंडेल देता है इकतारे पर
तभी तो
इकतारा होता है झंकृत
किसी देह की तरह ...
- डॉ. शरद सिंह
#SharadSingh #Poetry #MyPoetry
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