Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
कोशिश करते तो सही ....
- डॉ. शरद सिंह
तुम रखते मेरी हथेली पर
एक श्वेत पुष्प
और वह बदल जाता
मुट्ठी भर भात में
तुम रखते मेरे कंधे पर अपनी उंगलियां
और हो जाती सुरक्षित मेरी देह
तुम बोलते मेरे कानों में कोई एक शब्द
और बज उठता अनेक ध्वनियों वाला तार-वाद्य
सच मानो,
मिट जाती आदिम दूरियां
भूख और भोजन की
देह और आवरण की
चाहत और स्वप्न की
बस,
तुम कोशिश करते तो सही।
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#SharadSingh #Poetry #MyPoetry #Koshish #Try
मिट जाती आदिम दूरियां
भूख और भोजन की
देह और आवरण की
चाहत और स्वप्न की
बस,
तुम कोशिश करते तो सही।
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