Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
अंदर की आवाज़
- डॉ शरद सिंह
एक दिन
जब मन की कोमल, महीन ध्वनियां
बदल जाती हैं अनहद नाद में
सोई हुई शिराओं में जाग उठती हैं #ऋचाएं
कंठ हो जाता है सामवेदी
गाने लगता है #प्रयाण-गीत
शब्द फूंकने लगते हैं दुंदुभी
और भुजाएं व्याकुल हो उठती हैं समुद्र-मंथन को
.... और सब कुछ बदल जाता है उसी पल
किसी सुप्त #ज्वालामुखी के फूट पड़ने जैसा
ठीक उसी समय पता चलता है अंदर की आवाज़ का
वह आवाज़ जो गढ़ती है एक नए #इंसान को पुराने इंसान के भीतर
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#InnerVoice #SharadSingh #Poetry #MyPoetry
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