अर्ज़ है -
लिहाफ़ रात का भीगा हुआ-सा लगता है
हां, चांदनी ने अभी अश्क़ जो बहाया है
बहुत दिनों से नहीं थी सुनी कहानी जो
किसी ने ख़्वाब में आकर मुझे सुनाया है
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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