अर्ज़ है -
एक परिंदा तोड़ के पिंजरा, कौन-सी शय पा जाएगा?
पंख कटे हैं, खुले गगन में कैसे वह उड़ पाएगा?
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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