शाम रात की गहराई में खो जाएगी
जाते - जाते टीस दिलों में बो जाएगी
कुछ की आंखों में सहरा की रेत दिखेगी
कुछ की आंखों को अश्क़ों से धो जाएगी
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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