Poetry of Dr (Miss) Sharad Singh |
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जाड़े की रात
धुंधलके में डूबी
सूनी सड़कों पर
किसी की
यादों की
पहन कर जर्किन
घूमता है मन
खुद ही खुद से
नाराज़
उसे ढूंढता है मन
खो दिया है जिसे
पा कर
एक एहसास की तरह...
- डॉ शरद सिंह
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