20 August, 2024

शायरी | समंदर देखो | डॉ (सुश्री) शरद सिंह

देखना है तो ज़रा झांक के अन्दर देखो
एक क़तरे को तरसता है समन्दर देखो
  - डॉ (सुश्री) शरद सिंह

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