29 अगस्त ...
मेरी प्यारी दीदी स्व.डॉ वर्षा सिंह का आज जन्मदिन उनके बिना ...जिन्हें कोरोना ने छीन लिया था....
💔🎂💔
Happy Birthday Didu 🎂
Love you always ❤️
Miss you too much....💔
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😥सोचा न था😥
कभी सुबह ऐसी भी होगी
सोचा न था
तुम बिन
सांसें लेनी होंगी
सोचा न था
आज भी छत पर
फूल खिला है गेंदे का
आज भी छत पर
फूल खिला है गुड़हल का
आज भी श्यामा-तुलसी
भीनी महक रही
आज भी छत पर
गौरैया है चहक रही
सिर्फ़ नहीं हो तुम
तो है सूनी पूरी छत
"बेटू", "बहना" सुनने को
हैं कान तरसते
वो धड़कन हैं कहां ?
कि जिनमें
मेरे प्राण थे बसते ।
दुनिया भी मिल जाए
पर जो नहीं हो तुम
तो नहीं शेष है मेरे हाथों में
अब कुछ भी
कोरोना बन सांप
तुम्हें डंस लेगा, दीदी
और बिछुड़ना होगा हमें
इतना जल्दी
बहुत कठिन है
इस सच को अपनापाना
बहुत कठिन है
अब जीवन का ताना-बाना
व्याकुलता अब
हृदय चीरती रहती हर पल
मेरी सांसे ही करती हैं मुझको घायल
कभी अकेले जीना होगा
सोचा न था
कभी अकेले रहना होगा
सोचा न था।
- डॉ (सुश्री) शरद सिंह
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यादें ....
ReplyDeleteवे साहित्य-जगत की धरोहर थीं। उनके लिए आपकी भावनाओं को समझा जा सकता है। भावभीनी श्रद्धांजलि।
ReplyDeleteसचमुच कुछ यादें मन को टीसती रहती हैं।
ReplyDeleteबार-बार नमन है, श्रद्धा सुमन अर्पित है।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३० अगस्त २०२४ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
अनमोल यादें..,भावभीनी श्रद्धांजली 🙏
ReplyDeleteभावभीनी श्रद्धांजली।
ReplyDeleteवर्षा जी का जाना बेहद दुखद था जब खबर मिली थी तब भी और आज भी यकीन ही नहीं होता है कि वो हमारे बीच नहीं हैं। अपनी पुरानी पोस्ट पर जब भी उनकी टिप्पणियों को पढ़ती हूं तो उनका मुस्कुराता चेहरा देख कर लगता है वो अभी इस ब्लॉग जगत के अदृश्य चेहरों मैं शामिल मुस्कुरा रही है। भावभीनी श्रद्धांजलि उन्हें 🙏
ReplyDeleteऐसी परिस्थितियों में सम्बल भी प्रभु ही देते हैं , क्या करें काल के आगे सब बेवश..
ReplyDeleteवर्षा जी को भूलना वाकई कष्टप्रद है,भावभीनी श्रद्धांजलि🙏🙏
भावभीनी श्रद्धांजलि 🙏
ReplyDeleteबहुत ही ज्यादा हृदयस्पर्शी
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